Tuesday, October 31, 2017

किताबें


किताबें 



कहते  हैं किताबें हमारी सबसे विश्वसनीय मित्र होती हैं | पता नहीं आप इस बात पर कितना  भरोसा करते हैं लेकिन यह बात तो तय है की हर एक किताब जिससे दोस्ती एक बार हो जाये और आप उसे अच्छे से जान लो कुछ समय बिता लो बस वह फिर रिश्ता आजीवन जुड़ जाता है |

जानते हैं कैसे | किताबें कई प्रकार की होती हैं | कुछ बच्चों की तो  कुछ बड़ों की |  हर एक पुस्तक कुछ अलग बताती है | नयी नयी चीज़ों की बातें बताती है | वह एक ऐसी दोस्त है जिसकी बातें आप जब इत्मिनान से ध्यान लगाकर सुनते हो तो वह आपके अंदर घुल जाती हैं और ऐसा असर करती हैं जिसका असर ज़िन्दगी भर आपके साथ होता है | 

जिसकी जितनी ज़्यादा किताबें  दोस्त उसकी उतनी अच्छी समझ |  यह भी कहा जाता है की ज़िन्दगी में तज़ुर्बा बड़ी ज़रूरी चीज़ है | समय समय पर इम्तिहान होते हैं | उनसे पार पाने के लिए तज़ुर्बा ही काम आता है | अब तज़ुर्बा इंसान में या तो गलती करके और फिर उससे सीख लेकर मिलता है | लेकिन एक इंसान एक सीमित ही गलतियां कर सकता है | ऐसा इसीलिए क्यूंकि अवसर भी सीमित रहेंगे एक जीवन में | तो जो लोग किताबों में समय लगते हैं वह ऐसे लोग हैं जो दूसरो की ज़िन्दगी से भी जीना सीखते हैं | दूसरों की गलतियों से सीखते हैं | 
काफी समझदारी है इसमें जो दूसरों की गलतियां न दोहराये और अपनी गलतियां से भी सीखे और दूसरों की से भी | 

किताबों से आपको दृष्टिकोण भी मिलता है | किताबें आपको  को अलग ढंग से सोचने का अवसर प्रदान करती है | किताबें आपको ज्ञानवान बनाती हैं | सभ्य बनती हैं | नम्र भी बनाती हैं |

एक और कहावत है की पैसे से इंसान  नहीं होता बल्किजितने ज्यादा दोस्त आप उतने ही अमीर | एक अध्ययन में पाया गया है की जो लोग ज़िन्दगी में बहुत शोहरत प्रतिष्ठा पाते हैं उनमें से काफी लोगों में किताबें पढ़ने की आदत सामान्य हैं |   

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