Sunday, November 5, 2017

वो पल




वो पल थे जिनमें मेरा बचपन धीरे धीरे बीत रहा था |
उन्ही  पलों से मेरी यादों की सुनहरी श्रंखला बनना भी शुरू हुई थी ||

वो पल थे जहाँ मेरा लड़कपन जवान हो रहा था |
उन्ही  पलों में तो मेरा बचपन भी छूट रहा था ||

वो पल थे जब पढ़ाई  के लिए मैं हॉस्टल जा रहा था |
वही पल थे जब मेरा घर भी मुझसे छूट रहा था ||

वो पल थे जब मैं अपने यार से खफा हो रहा था |
उन्ही पलों में मैं उसकी  कमी का खेलना भी हुआ था ||

वो पल थे जब मैं खुद को अकेला सा  पाता था |
और उन्ही पलों में तो  मैं  खुद को दोस्त बना रहा था ||

वो पल थे कुछ जिनमें  मैं अँधेरे से घिरा हुआ था |
उन्ही  पलों के वजह से ही  मैंने अपनी रौशनी फिर से  ढूंढ ली थी ||

वो पल थे जो मुझे बहुत परेशान कर रहे थे |
वही पल थे जो फिर मेरा ख़याल भी रख रहे थे ||



Tuesday, October 31, 2017

किताबें


किताबें 



कहते  हैं किताबें हमारी सबसे विश्वसनीय मित्र होती हैं | पता नहीं आप इस बात पर कितना  भरोसा करते हैं लेकिन यह बात तो तय है की हर एक किताब जिससे दोस्ती एक बार हो जाये और आप उसे अच्छे से जान लो कुछ समय बिता लो बस वह फिर रिश्ता आजीवन जुड़ जाता है |

जानते हैं कैसे | किताबें कई प्रकार की होती हैं | कुछ बच्चों की तो  कुछ बड़ों की |  हर एक पुस्तक कुछ अलग बताती है | नयी नयी चीज़ों की बातें बताती है | वह एक ऐसी दोस्त है जिसकी बातें आप जब इत्मिनान से ध्यान लगाकर सुनते हो तो वह आपके अंदर घुल जाती हैं और ऐसा असर करती हैं जिसका असर ज़िन्दगी भर आपके साथ होता है | 

जिसकी जितनी ज़्यादा किताबें  दोस्त उसकी उतनी अच्छी समझ |  यह भी कहा जाता है की ज़िन्दगी में तज़ुर्बा बड़ी ज़रूरी चीज़ है | समय समय पर इम्तिहान होते हैं | उनसे पार पाने के लिए तज़ुर्बा ही काम आता है | अब तज़ुर्बा इंसान में या तो गलती करके और फिर उससे सीख लेकर मिलता है | लेकिन एक इंसान एक सीमित ही गलतियां कर सकता है | ऐसा इसीलिए क्यूंकि अवसर भी सीमित रहेंगे एक जीवन में | तो जो लोग किताबों में समय लगते हैं वह ऐसे लोग हैं जो दूसरो की ज़िन्दगी से भी जीना सीखते हैं | दूसरों की गलतियों से सीखते हैं | 
काफी समझदारी है इसमें जो दूसरों की गलतियां न दोहराये और अपनी गलतियां से भी सीखे और दूसरों की से भी | 

किताबों से आपको दृष्टिकोण भी मिलता है | किताबें आपको  को अलग ढंग से सोचने का अवसर प्रदान करती है | किताबें आपको ज्ञानवान बनाती हैं | सभ्य बनती हैं | नम्र भी बनाती हैं |

एक और कहावत है की पैसे से इंसान  नहीं होता बल्किजितने ज्यादा दोस्त आप उतने ही अमीर | एक अध्ययन में पाया गया है की जो लोग ज़िन्दगी में बहुत शोहरत प्रतिष्ठा पाते हैं उनमें से काफी लोगों में किताबें पढ़ने की आदत सामान्य हैं |   

Sunday, October 29, 2017

हिंदी और बुलंदी

हिंदी और बुलंदी 


काफी समय से ये हिंदी ब्लॉग शुरू करने का विचार मेरे मन में था ! लेकिन बाकी चीज़ों में व्यस्त होने के कारण शुरू नई कर पाया हूँ ! अब जाकर इसे शुरू करने जा रहा हूँ |

हिंदी प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश में जन्में होने से हमेशा ही उसमें बातचीत करना आसान रहा है और शायद उसी की वजह से जितनी अपनी हिंदी लगती है उतनी और कोई नई लगती | जो मन में आता है वह प्रकट हो जाता है | जयादा सोचना नई पड़ता | 

हालाँकि कुछ वर्षों सेकॉर्पोरेट में काम करने से अंग्रेजी में भी काफी पारंगत हासिल हो गयी | लेकिन हिंदी और उर्दू का प्यार बहुत ज़्यादा है | सोचो तो लगता है कभी कभी की हिंदी में आज भी इमोशंस ज़्यादा अच्छे से सामने रख सकता है जितना की अंग्रेजी में | यह सब तब है जब सालों अंग्रेजी माध्यम में पड़े की फिर कॉलेज भी अंग्रेजी माध्यम था और चार वर्ष से कंप्यूटर की सबसे बड़ी कम्पनी में काम कर रहा हूँ | 

इस ब्लॉग को शुरू करने का विचार बस ऐसे आया की हिंदी जो ज़हन में इतनी घुली मिली है उसे थोड़ा ऊँचा दर्जा लेखन में और देना चाहिए | शायद जितना अच्छे से हिंदी में लोग बात को बिना कहे  भी कह देते हैं वो बात मुझे बहुत ही पसंद है | 

वैश्वीकरण ने अंग्रेजी को भारत और दुनिया में भी बहुत ऊपर पहुंचाया है और अब वो जरिया बन गयी है ज़्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचने का | लेकिन हिंदी को वह औधा नई मिल पाया है | 

यह एक कोशिश रहेगी की कुछ बातें हिंदी की हिंदी में करी जाएँ और हिंदी को हिंदी में ज़िंदा रखा जाये |