वो पल थे जिनमें मेरा बचपन धीरे धीरे बीत रहा था |
उन्ही पलों से मेरी यादों की सुनहरी श्रंखला बनना भी शुरू हुई थी ||
वो पल थे जहाँ मेरा लड़कपन जवान हो रहा था |
उन्ही पलों में तो मेरा बचपन भी छूट रहा था ||
वो पल थे जब पढ़ाई के लिए मैं हॉस्टल जा रहा था |
वही पल थे जब मेरा घर भी मुझसे छूट रहा था ||
वो पल थे जब मैं अपने यार से खफा हो रहा था |
उन्ही पलों में मैं उसकी कमी का खेलना भी हुआ था ||
वो पल थे जब मैं खुद को अकेला सा पाता था |
और उन्ही पलों में तो मैं खुद को दोस्त बना रहा था ||
वो पल थे कुछ जिनमें मैं अँधेरे से घिरा हुआ था |
उन्ही पलों के वजह से ही मैंने अपनी रौशनी फिर से ढूंढ ली थी ||
वो पल थे जो मुझे बहुत परेशान कर रहे थे |
वही पल थे जो फिर मेरा ख़याल भी रख रहे थे ||
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